**रोशनी की राह: एक साधारण शुरुआत से वैश्विक सामाजिक उद्यमी बनने तक मोहित का सफर**
राजस्थान के एक छोटे से कस्बे में, जहाँ सुनहरी रेत नीले आसमान से मिलती है, एक लड़का रहता था—मोहित। साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हुए उसके पास सीमित संसाधन थे,
लेकिन जो कभी कम नहीं हुआ, वह था उसका जिज्ञासु स्वभाव और अटूट आत्मविश्वास।
जब बाकी बच्चे गली में क्रिकेट खेलते, मोहित कबाड़ से फेंकी गई इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें इकट्ठा कर उनसे कुछ नया बनाने में जुटा रहता।
उसके पिता एक शिक्षक थे और माँ दर्जी। दोनों अक्सर चकित होकर उसे सोलर-लैंप जैसी चीज़ें बनाते देखते, जो वह साइबर कैफे में देखे यूट्यूब वीडियो से सीखकर बनाता था।
प्रेरणा की चिंगारी**मोहित की ज़िंदगी का निर्णायक क्षण 17 साल की उम्र में आया जब वह एक NGO के साथ इंटर्नशिप में गया, जो बिना बिजली वाले गाँवों में सौर ऊर्जा पहुँचा रही थी।
वहाँ बच्चों को धीमी लालटनों की रोशनी में पढ़ते हुए और महिलाओं को धुएँ में खाना बनाते देखकर उसका दिल दहल गया। उसने तय किया—समस्या केवल तकनीकी नहीं है, समाधान सामाजिक भी होना चाहिए।
स्कूल की पढ़ाई के बाद, उसे दिल्ली के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की स्कॉलरशिप मिली। लेकिन उसके सपने कॉरपोरेट नौकरी के नहीं थे।
वह ग्रामीण इलाकों के लिए कम लागत वाली नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों पर शोध करने लगा। शुरू में प्रोफेसर संशय में थे, लेकिन जल्दी ही उसकी लगन ने सबका विश्वास जीत लिया।
साहसिक छलांग**अंतिम वर्ष में, मोहित ने एक छोटा, सोलर-पावर्ड लाइटिंग किट डिज़ाइन किया जो एक कमरे के घरों के लिए था। इसमें फोल्डिंग सोलर पैनल, यूएसबी चार्जिंग पोर्ट, और ऐसे LED बल्ब शामिल थे जो एक बार चार्ज करने पर 12 घंटे तक चल सकते थे।
साहसिक छलांग**कॉलेज के इनोवेशन फेस्ट में उसने इस प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया और आश्चर्यजनक रूप से पहला पुरस्कार तथा एक छोटा अनुदान भी जीता।