नारद जी ने भगवान से प्रार्थना की, “हे प्रभु! यह रूप इतना अनुपम है, कृपया इसे कलियुग में प्रकट कीजिए ताकि आपके भक्त इसे देख सकें।” श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले, “तथास्तु! मैं इस रूप में पुरी में प्रकट होऊँगा, जहाँ राजा इंद्रद्युम्न मेरी मूर्ति की स्थापना करेंगे।”
नारद जी ने भगवान से प्रार्थना की, “हे प्रभु! यह रूप इतना अनुपम है, कृपया इसे कलियुग में प्रकट कीजिए ताकि आपके भक्त इसे देख सकें।” श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले, “तथास्तु! मैं इस रूप में पुरी में प्रकट होऊँगा, जहाँ राजा इंद्रद्युम्न मेरी मूर्ति की स्थापना करेंगे।”