तेरा इंतज़ार अब भी है
leanrkro.com – ये कहानी है आरव और मेहर की। दो दिल, दो अलग-अलग दुनिया, लेकिन एक ऐसा रिश्ता जो समय, दूरी और हालातों के बंधनों से भी ऊपर उठ गया। यह एक सच्चे प्रेम, त्याग, और अधूरी मोहब्बत की वो कहानी है जो किसी के भी दिल को छू सकती है।
🌸 भाग 1: पहली मुलाक़ा
आरव दिल्ली यूनिवर्सिटी में नया-नया एडमिशन लेकर आया था। छोटे शहर से आए इस लड़के को बड़े शहर की चकाचौंध थोड़ी डराती थी, लेकिन दिल में कुछ कर दिखाने का सपना था।
पहले दिन ही लाइब्रेरी में एक लड़की से टकरा गया। किताबें ज़मीन पर गिर पड़ीं, और जैसे ही उसने झुककर किताबें उठाईं, उसकी निगाहें उससे टकराईं। वो थी — मेहर, वही क्लास की सबसे चर्चित और सबसे प्यारी लड़की।
“सॉरी… मेरी गलती थी,” — आरव बोला।
“कोई बात नहीं। वैसे तुम नए लग रहे हो?” — मेहर ने मुस्कुराते हुए पूछा।
बस, वही पहली मुस्कान आरव के दिल में बस गई।
💌 भाग 2: दोस्ती की शुरुआत
वक्त बीतता गया। लाइब्रेरी, कैफे, ग्रुप प्रोजेक्ट्स — आरव और मेहर की दोस्ती गहरी होती चली गई। आरव उसकी हर बात में खो जाता था, लेकिन कभी कह नहीं पाया कि वो उसे पसंद करता है।
एक दिन मेहर ने कहा —
“आरव, तुम बहुत अलग हो। बाकी लड़कों जैसे नहीं हो… तुम्हारे साथ मैं कुछ भी शेयर कर सकती हूँ।”
आरव मुस्कुराया, लेकिन अंदर से टूटा — क्योंकि वो “दोस्त” बनकर रहना नहीं चाहता था।
💔 भाग 3: इज़हार और इनकार
आख़िर एक दिन आरव ने हिम्मत जुटाई। उसे गुलाब दिया और बोला —
“मेहर, मैं तुमसे प्यार करता हूँ… बहुत दिन से।”
मेहर थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली —
“आरव… तुम बहुत अच्छे हो। लेकिन मैं अभी किसी रिश्ते के लिए तैयार नहीं हूँ। तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।”
आरव ने मुस्कुरा कर कहा —
“अगर तुम्हारी खुशी मुझसे दूर होकर है, तो मैं वो भी मंजूर कर लूंगा।”
⏳ भाग 4: वक़्त और फासले
कॉलेज के तीन साल खत्म हो गए। मेहर की नौकरी मुंबई में लग गई, और आरव दिल्ली में ही रह गया। धीरे-धीरे बातचीत कम होने लगी।
आरव हर रात उसकी पुरानी चैट पढ़ता, तस्वीरें देखता, और बस मुस्कुराता।
मेहर कभी-कभी कॉल करती थी, लेकिन अब उसमें वो गर्माहट नहीं थी। एक दिन मेहर ने कहा —
“आरव… मैं किसी और को पसंद करने लगी हूँ।”
उस रात आरव बहुत रोया, लेकिन कुछ नहीं कहा।
🥀 भाग 5: अधूरा प्यार
सालों बीत गए। मेहर की शादी हो गई। आरव अब एक सफल लेखक बन चुका था — लेकिन उसकी हर कहानी में एक “मेहर” ज़रूर होती थी।
एक दिन एक इंटरव्यू में आरव से पूछा गया —
“आपकी कहानियों की प्रेरणा कौन है?”
उसने जवाब दिया —
“एक लड़की… जो कभी मेरी ज़िंदगी थी, पर आज भी मेरी हर सांस में ज़िंदा है।”
🕯️ भाग 6: आखिरी मुलाकात
10 साल बाद एक दिन मेहर को पता चला कि आरव को कैंसर है, और वो आखिरी स्टेज पर है। वो दौड़ी-दौड़ी हॉस्पिटल पहुंची।
आरव ने मुस्कुरा कर कहा —
“तुम आ गईं… मुझे पता था।”
मेहर की आंखों से आंसू झरने लगे।
“मैं कभी समझ नहीं पाई तुम्हारा प्यार… माफ कर दो आरव…”
आरव की आंखें बंद होने लगीं…
“माफ़ी की ज़रूरत नहीं… तेरा इंतज़ार अब भी है…”
और आरव की सांसें थम गईं…
📚 निष्कर्ष (सीख):
सच्चा प्यार ज़रूरी नहीं कि मिल जाए…
लेकिन वो किसी को खोकर भी, उम्र भर निभाया जा सकता है।
और कभी-कभी… अधूरी मोहब्बत ही सबसे खूबसूरत होती है।