📷रैवन्सपुर एक छोटा लेकिन रहस्यमयी गाँव था, जहाँ नीले आकाश के नीचे पुराने खंडहर, बांस के जंगल और गहराई से भरे हुए कुएँ आज भी पिछली पीढ़ियों की कहानियाँ फुसफुसाते थे।
यहीं रहती थी तारा—ग्यारह साल की एक तेज़, जिज्ञासु और चुलबुली बच्ची, जिसकी आंखों में सदैव कुछ नया खोजने की चमक होती थी।
वह अपनी दादी सरस्वती देवी के साथ रहती थी, जो गाँव की पुरानी किस्सागो मानी जाती थीं। शाम को आँगन में बैठकर वे तारा को अद्भुत लोकों, असाधारण प्राणियों और वक़्त में खोई हुई किताबों की कहानियाँ सुनातीं।
एक दिन, जब बारिश बंद हो चुकी थी और सूरज की पहली किरणें टपकती हुई पत्तियों पर चमक रहीं थीं, तारा गाँव के बाहर खंडहरों में खेल रही थी। वहाँ एक पुराना टूटा हुआ पत्थर कुछ अजीब लग रहा था—जैसे कोई उसे बार-बार घूर रहा हो।