Romantic Love Story || बारिश को सब याद है

learnkro.com-पहली बूँद ने बालकनी के जंग लगे रेलिंग पे ऐसे टपक मारा… जैसे कोई राज़ बहुत दिनों बाद ज़ुबान पे आया हो।

फिर शुरू हो गई बारिश—धीरे नहीं, जैसे कोई राग जो बहुत वक़्त से दबा बैठा था, अब खुल के बहने लगा हो। पूरा उदयपुर भीग गया, बारिश के चांदी जैसे पर्दों में लिपटा हुआ। मिट्टी की खुशबू हवा में घुल गई, जैसे धरती सुकून की साँस ले रही हो।

गंगौर घाट के किनारे एक पुरानी हवेली की बालकनी में खड़ा था आरव मेहता। उम्र लगभग इकत्तीस। पेशे से आर्किटेक्ट, और दिल से थोड़ा खोया हुआ। उसे खुद नहीं पता था कि उसे यहां क्या खींच लाया

दादा की छोड़ी ये हवेली, टूटे हुए गुज़रे वक़्त की तरह उसके सामने थी। मगर बारिश की पहली बूंदों के साथ, जैसे हवेली बोलने लगी हो। कोई पुरानी आवाज़… जो अब तक चुप थी।

नीचे झील पिचोला की सतह हिल रही थी, जैसे नींद से जागी हो। नावें चुपचाप किनारे से टिकी हुई थीं,

और दूर पीपल के झुरमुटों से मोरों की आवाजें आती थीं। अठारह साल बाद आरव उदयपुर लौटा था—मगर लगता था कि यहाँ की हर ईंट उसे बेहतर जानती है।