सच्चाई की जीत
learnkro.com- एक छोटे से गाँव में, एक नेक और ईमानदार लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन अपने माता-पिता के साथ रहता था और हमेशा उनकी बात मानता था। वह अपने गाँव के लोगों के लिए बहुत प्यार और सम्मान रखता था।
एक दिन, रोहन के पड़ोसी ने उसके माता-पिता से कहा कि रोहन ने उनका एक मूल्यवान हार चोरी किया है। पड़ोसी ने कहा कि उसने रोहन को हार के साथ देखा था और उसे पूरा यकीन था कि रोहन ने ही हार चोरी किया है।
रोहन के माता-पिता ने उस पर विश्वास नहीं किया, लेकिन पड़ोसी की बातों में आकर उन्होंने रोहन को डांटा और उसे घर से बाहर निकाल दिया। रोहन बहुत दुखी हुआ और उसने अपने माता-पिता से कहा कि उसने हार नहीं चोरी किया है। लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी।
रोहन ने अपने माता-पिता को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। रोहन ने सोचा कि शायद उसके माता-पिता को लगता है कि वह सचमुच हार चोरी करने वाला है। लेकिन रोहन जानता था कि उसने कुछ गलत नहीं किया था।
कुछ दिनों बाद, पड़ोसी का बेटा आया और उसने अपने अपराध को स्वीकार किया कि उसने ही हार चोरी किया था। उसने कहा कि उसने रोहन को फंसाने के लिए ऐसा किया था क्योंकि वह रोहन से जलता था।
रोहन के माता-पिता ने अपनी गलती का एहसास किया और रोहन से माफी मांगी। उन्होंने रोहन को घर वापस बुलाया और उसे गले लगाया। रोहन ने अपने माता-पिता को माफ कर दिया और उन्हें समझाया कि सच्चाई की जीत होती है।
रोहन के माता-पिता ने सीखा कि किसी पर भी बिना सबूत के आरोप नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने रोहन को धन्यवाद दिया कि उसने सच्चाई के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें अपनी गलती का एहसास कराया।
नैतिक: सच्चाई की जीत होती है, और हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।
आयु वर्ग: 4-12 वर्ष
चित्र:
– रोहन और उसके माता-पिता
– पड़ोसी और उसका बेटा
– रोहन को घर से निकालते हुए
– पड़ोसी के बेटे का अपराध स्वीकार करना
– रोहन के माता-पिता द्वारा माफी मांगना
– रोहन और उसके माता-पिता का पुनर्मिलन
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