चतुर खरगोश और भूखा शेर || Moral Story

 

 “चतुर खरगोश और भूखा शेर”

अध्याय 1: जंगल का आतंक

learnkro.com-बहुत समय पहले एक घने और सुंदर जंगल में अनेक जानवर हँसी-खुशी रहते थे — हिरन, बंदर, खरगोश, तोता, हाथी और भी कई। लेकिन उनकी यह शांति तब टूट गई जब उस जंगल में एक नया शेर आकर बस गया।

यह शेर सिर्फ बलवान ही नहीं था, बहुत ही क्रूर भी था। उसे हर दिन शिकार करने की आदत थी, और वह एक बार में दो-दो जानवर मार देता। धीरे-धीरे पूरे जंगल में डर का माहौल बन गया। जानवरों ने अपने बच्चों को घरों से बाहर भेजना बंद कर दिया, पक्षियों ने पेड़ों पर गीत गाना छोड़ दिया।

अध्याय 2: जानवरों की सभा

जंगल के बुज़ुर्ग हाथी, चालाक लोमड़ी और समझदार कछुए ने मिलकर सभी जानवरों की एक सभा बुलाई। वहाँ उन्होंने तय किया कि शेर से बात की जाए — शांति के लिए कोई उपाय निकालना ज़रूरी था।

अगले दिन जानवरों का एक दल शेर की गुफा में पहुँचा। हाथी ने कहा, “हे जंगल के राजा, हम आपकी शक्ति से भलीभाँति परिचित हैं। हम चाहते हैं कि आप रोज़ शिकार करने की बजाय, हममें से एक जानवर रोज़ आपको भोजन के रूप में भेजेंगे। इससे बाकी जानवर शांति से रह सकेंगे।”

शेर ने कुछ सोचा और फिर गरजते हुए बोला, “ठीक है, लेकिन अगर मेरे भोजन में जरा सी भी देर हुई तो मैं पूरे जंगल को तबाह कर दूँगा!”

जानवर भयभीत हो गए लेकिन यह समाधान उन्हें स्वीकार्य था।

अध्याय 3: चतुर खरगोश की बारी

हर दिन एक जानवर अपनी बारी आने पर शेर के पास जाता और शेर उसे खा जाता। कुछ दिनों बाद बारी आई एक छोटे से नर खरगोश की — नाम था चिंकू। वह जंगल का सबसे छोटा, लेकिन सबसे चालाक जानवर था। वह बाकी जानवरों की तरह चुपचाप मरने नहीं जा सकता था।

चिंकू ने सोचा, “अगर मैं समय से पहले शेर के पास चला गया, तो बाकी जानवर कभी आज़ादी नहीं पा सकेंगे। लेकिन अगर मैं अपने दिमाग का इस्तेमाल करूँ, तो शायद यह समस्या सुलझ सकती है।”

अध्याय 4: योजना की शुरुआत

चिंकू ने रास्ते में देर जानबूझकर की। वह घड़ी-घड़ी रुका, अपने पंजों के निशान मिटाए और एक शांत कुएँ के पास रुका। वहाँ उसने चारों ओर देखा — सब ठीक था। वह मुस्कराया और शेर की गुफा की ओर बढ़ गया।

शेर भूख से तड़प रहा था और देर देखकर बहुत गुस्से में था। जैसे ही चिंकू पहुँचा, शेर दहाड़ा, “इतनी देर क्यों हुई? क्या अब तुम जानवर मुझे मूर्ख समझते हो?”

चिंकू हाथ जोड़ते हुए बोला, “महाराज! मैं समय पर ही चला था, पर रास्ते में एक और बड़ा शेर मिल गया। उसने मुझे रोक लिया और कहा कि वही इस जंगल का असली राजा है। मैंने उसे समझाया कि हमारे असली राजा आप हैं, लेकिन उसने मुझे छोड़ा नहीं।”

अध्याय 5: शेर की जिज्ञासा

शेर गुस्से से कांपने लगा। “क्या? कोई और शेर मेरे जंगल में! मुझे अभी ले चलो उसके पास, मैं उसे दिखाऊँगा कि राजा कौन है!”

चिंकू ने मुस्कराते हुए कहा, “आइए महाराज, वह इस कुएँ के पास रहता है — जहाँ मैंने उससे बात की थी। वह आज भी वहीं है।”

दोनों कुएँ की ओर चल दिए।

अध्याय 6: बुद्धिमत्ता की जीत

चिंकू शेर को कुएँ तक ले गया और बोला, “महाराज, वह शेर इसी कुएँ में है। झाँककर देखिए।”

शेर ने जैसे ही पानी में झाँका, उसे अपनी ही परछाई दिखी। वह समझा कि कुएँ के भीतर सचमुच एक दूसरा शेर है — और जब उसने गुर्राकर उसे डराने की कोशिश की, परछाई ने भी उतनी ही जोर से गुर्राई।

क्रोध में अंधा शेर एक पल भी न रुका — उसने पूरे बल से कुएँ में छलांग लगा दी। और फिर… जंगल गूँज उठा — छपाक! शेर गहरे पानी में गिरा और बाहर कभी नहीं निकल सका।

अध्याय 7: जंगल में फिर शांति

जंगल के सभी जानवर पेड़ों से, गुफाओं से और झाड़ियों से बाहर आए। उन्होंने चिंकू को कंधों पर उठा लिया, उसकी बुद्धिमत्ता और साहस की सराहना की।

सभी ने मिलकर तय किया कि अब हर समस्या को शांति और चतुराई से हल किया जाएगा — और जंगल में फिर गीत गूंजने लगे, फूल खिलने लगे, बच्चों की हँसी लौट आई।

नैतिक शिक्षा:

“शक्ति से नहीं, बुद्धि से जीत होती है। संकट में घबराना नहीं, सूझ-बूझ से काम लेना ही असली बहादुरी है।”

 

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