एक फुसफुसाते जंगल की कहानी
learnkro.com– बहुत समय पहले, चाँदी सी चमकती रिवर रील नदी और बर्फ से ढके मूनस्टोन पहाड़ों के बीच बसा था एक अनदेखा गाँव — लिओरा। यहाँ के लोग सितारों से बातें करते थे और मानते थे कि दया, जादू से भी ज़्यादा ताकतवर होती है। हर रात, वे लालटेनों को आकाश में उड़ाते — रोशनी
के लिए नहीं, बल्कि अपनी दिल की मुरादें हवा को सौंपने के लिए।
इसी गाँव में रहती थी एक छोटी बच्ची — एलीना। उसके बाल कौवे के पंख जैसे काले थे, और कल्पनाएँ समुद्र से भी गहरी। उसके पास पुराने कपड़े और उधार की किताबें थीं, मगर ख्वाब… एकदम नए।
एलीना अपने दादा डारो के साथ रहती थी — गाँव के मशहूर लालटेन निर्माता। वे लालटेनों को चाँदी के रेशों, सितारों की स्याही और धीरे से फुसफुसाई गई इच्छाओं से बनाते। हर बच्चा मानता था कि डारो की लालटनें बादलों से भी ऊँचा उड़ सकती हैं।
एक दिन, एलीना ने पूछा, “दादा, हमारी लालटनें कभी वापस क्यों नहीं आतीं?”
डारो मुस्कराए, “क्योंकि कुछ इच्छाएँ उड़ती हैं तब तक… जब तक उन्हें वो न मिल जाए जिसकी उन्हें तलाश होती है।”
मगर एलीना केवल ‘शायद’ पर नहीं जीती थी। उसे उत्तर चाहिए था।
🌌 जंगल की रहस्यमयी चमक
एक धुंधली शाम, जब पूरा गाँव फुसफुसाहटों की रात के लिए तैयार हो रहा था, एलीना को जंगल में नीली सी रोशनी दिखाई दी।
वो उसका पीछा करने लगी।
विलो गेट से निकलकर वह घने व्हिस्परिंग वुड्स में घुसी। वहाँ के पेड़ पुराने गीत गुनगुनाते, और हवा में चांदनी की नमी होती।
गहराई में एक टूटी फूटी लालटेन पड़ी थी — डारो की बनाई हुई।
उसकी लौ अब भी टिमटिमा रही थी। जैसे ही एलीना ने उसे छुआ, एक आवाज़ उसके भीतर गूंज उठी:
“मुझे लालटेन कीप में पहुँचाओ।”
🗺️ सफ़र की शुरुआत
अगली सुबह, एलीना ने एक नक्शा, थोड़ी सी रोटी और बहुत सारा साहस बाँधा और निकल पड़ी।
रास्ते में उसने देखा:
- गाते हुए पहाड़, जहाँ पंछी तुम्हारे मन की बातें दोहराते थे,
- घड़ी जड़ दलदल, जहाँ समय कभी-कभी उल्टा चलता था (उसे मंगलवार दो बार जीना पड़ा),
- और फुसफुसाते पुल, जहाँ उसकी मुलाकात हुई ताल से — एक लड़का जो अपनी खोई हुई हिम्मत की तलाश में था।
दोनों साथ हो चले।
रास्ते में, उन्होंने एक जुगनू की रोशनी ढूँढी, एक पत्थर जैसे गोलेम को मुस्कराना सिखाया, और जाना कि सच्ची बहादुरी चुप होती है — बस डर के बावजूद सही को चुनना होता है।
🌳 लालटेन कीप का रहस्य
अंततः वे पहुँच गए लालटेन कीप — जो कोई मीनार नहीं, बल्कि एक विशाल पेड़ था, जिसके हर डाल पर हज़ारों लालटेनें चमक रही थीं।
नीचे बैठा था एक रहस्यमयी प्राणी — हवा और छाया का बना हुआ — कीपर।
“तुमने एक भटकी लालटेन लौटाई,” वो गूंजा, “क्यों?”
एलीना बोली, “क्योंकि कोई भी इच्छा भुला दी जाए… ये ठीक नहीं।”
“तो अब तुम अपनी मुराद दो,” कीपर बोला।
एलीना हिचकिचाई। उसका सबसे गहरा सपना था — अपनी माँ से मिलना, जो उसके बचपन में पहाड़ों में खो गई थी।
मगर उसने अपनी इच्छा बदल दी। उसने कहा,
“मैं चाहती हूँ कि कोई भी बच्चे की मुराद… अधूरी न रह जाए।”
कीपर मुस्कराया — और पूरा वृक्ष चमकने लगा।
🌠 नयी सुबह
वो दोनों हवा की लहरों पर सवार होकर लौटे, गाँव खुशी से झूम उठा। और अगली फुसफुसाहटों की रात को जब लोगों ने लालटेनें उड़ाईं, तो वे लौट आईं — संदेशों के साथ:
“तुम्हारी बात सुनी गई है।”
“मज़बूत रहो।”
“तुम अकेले नहीं हो।”
एलीना गाँव की नयी लालटेन निर्माता बनी — उसकी दुकान स्याहियों और बोतलबंद हवाओं से भरी थी।
और अब… लिओरा की लालटनें केवल आशाएँ नहीं उड़ातीं — वे उत्तर भी लाती हैं।
✨ कहानी की सीख:
“छोटी सी भी उम्मीद, जब साहस और करुणा के साथ उड़ती है, तो वह हजारों दिलों को रोशनी दे सकती है।”