अंधेरे से उजाले तक: रवि की कहानी || Success Story

अंधेरे से उजाले तक: रवि की कहानी”

भाग 1: छोटे शहर का बड़ा सपना

Learnkro.com– गुजरात के एक छोटे से गाँव में, रवि नाम का एक साधारण लड़का रहता था। उसके पिता एक दर्ज़ी थे और माँ गृहिणी। गाँव में बिजली अक्सर गुल रहती थी, लेकिन रवि का सपना कभी मंद नहीं हुआ। वह बड़े होकर इंजीनियर बनना चाहता था।

बचपन से ही उसे मशीनों को खोलने, जोड़ने और समझने का शौक था। पिता के पुराने सिलाई मशीन के पुर्ज़ों से वह खिलौनों की जगह कुछ न कुछ नया बनाता रहता। उसके दोस्तों को क्रिकेट पसंद था, लेकिन रवि को विज्ञान के प्रयोगों में मज़ा आता।

लेकिन… एक दिन ऐसा आया जब उसके पिता की तबीयत बहुत बिगड़ गई और घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी। उस समय रवि दसवीं कक्षा में था, और यह वही मोड़ था जिसने उसे ज़िंदगी का असली पाठ पढ़ाया…

भाग 2: संघर्ष की आग में तपना

पिता की बीमारी ने परिवार को झकझोर दिया। रवि अब न सिर्फ एक विद्यार्थी था, बल्कि परिवार की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर आ गई थी। वह स्कूल से लौटकर पास के एक साइबर कैफ़े में काम करने लगा — कंप्यूटर साफ करना, प्रिंट निकालना, और ग्राहकों की मदद करना उसका रोज़ का काम बन गया।

यहाँ उसकी दोस्ती हुई मालिक के भतीजे अमन से, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। अमन ने रवि को कोडिंग की दुनिया से परिचित कराया — HTML, CSS और फिर Python। रवि रात में कैफ़े का एक पुराना सिस्टम इस्तेमाल करता और कोडिंग के वीडियो देख-देखकर खुद सीखता।

उसके जीवन में एक नई रोशनी जग चुकी थी।

भाग 3: पहली जीत

बारहवीं पास करने के बाद रवि ने एक सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज में दाख़िला लिया। वहाँ उसे छात्रवृत्ति मिली जिससे उसकी फीस भर पाना संभव हुआ। साथ ही, उसने ऑनलाइन फ्रीलांसिंग साइट्स पर छोटे-मोटे प्रोजेक्ट लेना शुरू कर दिया — वेबसाइट बनाना, फॉर्म डिज़ाइन करना, और डेटा एंट्री।

धीरे-धीरे उसके छोटे-छोटे कामों से पैसे आने लगे। उसने अपने पहले लैपटॉप के लिए खुद पैसे जमा किए। वो दिन उसके लिए एक सपने के सच होने जैसा था — जब उसने अपने पैसों से पहली बार एक नई चीज़ खरीदी थी।

भाग 4: सफलता की सीढ़ियाँ

तीन साल बाद रवि ने एक बड़ी कंपनी में इंटर्नशिप की। वहाँ उसने एक एप्लिकेशन डिज़ाइन किया जो ग्रामीण इलाकों के छात्रों को तकनीकी शिक्षा प्रदान करने में मदद करता था। उसी एप के ज़रिए उसे एक स्टार्टअप से ऑफर आया — “हम तुम्हारे आइडिया में निवेश करना चाहते हैं।”

अब वह सिर्फ एक कर्मचारी नहीं, बल्कि एक टेक्नोलॉजी स्टार्टअप का को-फाउंडर बन चुका था। उसके बनाए एप्लिकेशन ने कई राज्यों में हज़ारों छात्रों की मदद की।

भाग 5: गाँव में लौटा हीरो

सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचने के बाद, रवि अपने गाँव लौटा। उसने वहीं एक ‘Digital Learning Center’ शुरू किया — जहाँ छात्रों को मुफ्त में कोडिंग, डिजिटल स्किल्स और करियर गाइडेंस दी जाती है। अब वह अपने जैसे तमाम छोटे गाँव के युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की हिम्मत दे रहा है।

अंतिम विचार

रवि की कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

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