“धरती की बेटी: एक गाँव की लड़की से एग्रीटेक उद्यमी बनने की प्रेरणादायक कहानी”
1. शुरुआत: मिट्टी में खेलती लड़की
learnkro.com– यह कहानी है “सरिता यादव” की, जो उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव बागेश्वर में पैदा हुई। उसका बचपन खेतों, गायों, और गाँव के पर्वों के बीच बीता। जहाँ ज्यादातर लड़कियाँ कम उम्र में ही शादी कर दी जाती थीं, सरिता बचपन से ही कुछ अलग करना चाहती थी।
उसे मिट्टी से बहुत लगाव था। जब माँ खेतों में काम करतीं, वह गौर से देखती थी – बीज कैसे बोए जाते हैं, फसल कैसे बढ़ती है, मिट्टी कैसे महकती है। उसे खेतों से बातें करना अच्छा लगता था।
गाँव में अक्सर किसान परेशान रहते थे – कभी खाद नहीं मिली, कभी मौसम ने धोखा दे दिया, कभी बाजार में दाम गिर गए। सरिता सोचती, “क्यों हमारे किसान इतने मजबूर हैं?”
2. शिक्षा की राह – संघर्ष और साहस
सरिता के गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था। जब वह 10वीं पढ़ना चाहती थी, तो लोगों ने कहा – “लड़की है, ज्यादा पढ़ा कर क्या करेगी?” लेकिन उसके पिता ने उसका साथ दिया।
हर दिन वह 6 किलोमीटर दूर साइकल चलाकर स्कूल जाती थी। किताबें पुराने थीं, और इंटरनेट तो दूर, मोबाइल नेटवर्क भी मुश्किल से मिलता था। फिर भी उसने 12वीं में टॉप किया।
कॉलेज के लिए वह हल्द्वानी आई – एक नई दुनिया, नए सपने। यहाँ पहली बार उसने “स्टार्टअप” शब्द सुना। कृषि में तकनीक का इस्तेमाल कैसे हो सकता है, इस पर उसकी रुचि बढ़ी।
3. एक विचार जो सब बदल दे
कॉलेज में एक बार एक प्रोजेक्ट के दौरान, सरिता ने देखा कि गाँव के किसान स्मार्टफोन तो रखते हैं लेकिन तकनीक का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते। उन्हें मंडी के दाम नहीं पता चलते, उर्वरक कब डालना है – इसकी जानकारी नहीं होती, और बिचौलियों से उन्हें बहुत नुकसान होता है।
वहीं से “मिट्टी AI” नाम का विचार जन्मा – एक ऐसा मोबाइल ऐप जो किसानों को मौसम की जानकारी, सही फसल चक्र, बीज की गुणवत्ता, बाजार मूल्य और सरकारी योजनाओं की जानकारी दे सके। और यह ऐप हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में हो ताकि हर किसान समझ सके।
4. निवेश की चुनौती – और पहला बड़ा कदम
सरिता के पास न पैसे थे, न कोडिंग स्किल्स। लेकिन जिद थी। उसने YouTube से कोडिंग सीखी, freelancing करके थोड़ा पैसा जुटाया और एक छोटे वर्जन का ऐप तैयार किया।
पहली बार जब उसने किसी स्टार्टअप पिचिंग प्रतियोगिता में भाग लिया, तो लोग हँसे – “गाँव की लड़की क्या स्टार्टअप बनाएगी?” लेकिन उसके विचार में दम था। IIT दिल्ली के एक इवेंट में उसने तीसरा स्थान हासिल किया और 5 लाख रुपये का ग्रांट मिला।
5. मिट्टी AI – किसानों का साथी
सरिता ने उसी पैसे से Mitti AI का पहला प्रोफेशनल वर्जन लॉन्च किया। शुरुआत में सिर्फ उत्तराखंड के 300 किसानों ने ऐप इस्तेमाल किया।
लेकिन जल्द ही ऐप की ख़ासियत सामने आने लगी:
- किसान अपने खेत की मिट्टी का रिपोर्ट डालते, और ऐप बताता कि कौन सी फसल सबसे उपयुक्त है।
- मंडियों के रेट हर सुबह अपडेट होते।
- बीज, खाद, और कीटनाशकों की सिफारिश मिलती।
- सरकारी सब्सिडी और स्कीम की जानकारी सीधे मिलती।
बिना बिचौलियों के किसान सीधे ग्राहक से जुड़ने लगे। उनकी आय बढ़ी और लागत घटी।
6. कठिनाइयाँ – जब सब कुछ थम सा गया
लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है। 2020 की कोविड महामारी ने सब कुछ बदल दिया। फंडिंग बंद हो गई, किसान फोन नहीं चला पा रहे थे, टीम के कुछ लोग कंपनी छोड़ गए।
सरिता बुरी तरह टूट गई। कई महीनों तक वह डिप्रेशन में चली गई, लेकिन गाँव लौटकर उसने फिर से मिट्टी को छुआ – और वही प्रेरणा बन गई।
उसने तय किया, “जब तक एक भी किसान परेशान है, मैं नहीं रुकूँगी।”
7. वापसी – किसानों के साथ कदम से कदम मिलाकर
सरिता ने इस बार जमीनी स्तर पर काम शुरू किया। वह खुद हर गाँव गई, किसानों से मिली, उन्हें ऐप इस्तेमाल करना सिखाया। उसने एक हेल्पलाइन शुरू की जहाँ किसान सवाल पूछ सकते थे।
वह सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई – और धीरे-धीरे मीडिया का ध्यान उसकी तरफ गया।
NDTV, The Better India, और कई बड़े प्लेटफॉर्म्स ने उसकी कहानी कवर की। फिर निवेशक भी लौटने लगे।
2022 में उसे “National Agri Innovation Award” से नवाज़ा गया।
8. आज की सरिता – एक परिवर्तन की मिसाल
आज Mitti AI देश के 12 राज्यों में 5 लाख से ज्यादा किसानों तक पहुँच चुका है। सरिता ने एक “किसान पाठशाला” शुरू की है जहाँ ग्रामीण बच्चे और युवा खेती और टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण लेते हैं।
सरिता की कंपनी अब profit-making startup बन चुकी है, लेकिन उसका मुख्य मकसद आज भी किसानों की जिंदगी बेहतर बनाना है।
वह TEDx पर बोल चुकी हैं, महिला उद्यमियों की मिसाल बन चुकी हैं, और एक नया आंदोलन खड़ा कर चुकी हैं – “Tech for Farmers”।
सीख जो यह कहानी देती है
- आपके पास बड़ा सपना हो, तो साधन मायने नहीं रखते – संकल्प मायने रखता है।
- गाँव की बेटियाँ भी स्टार्टअप चला सकती हैं – और देश बदल सकती हैं।
- खेती सिर्फ परंपरा नहीं, भविष्य की स्मार्ट इंडस्ट्री है।
- असफलता से डरना नहीं, उससे सीखकर और मजबूत बनना है।
निष्कर्ष:
सरिता की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। लेकिन यह सच्चाई है – एक गाँव की लड़की, जिसने अपने आस-पास की तकलीफों को देखा, समझा और उनका समाधान खुद तैयार किया।
आज वह लाखों किसानों की ज़िंदगी संवार रही है, और आने वाली पीढ़ी को सिखा रही है कि –
“यदि आपके सपनों में समाज की भलाई है, तो ब्रह्मांड भी उन्हें साकार करने में लग जाता है।”