Tag Archives: Romantic love story

Romantic Love Story ||  साँझ के रंग – एक अनकही मोहब्बत || Love Story

 

 साँझ के रंग – एक अनकही मोहब्बत

learnkro.com -सूरत के एक शांत मोहल्ले में, जहाँ हर साँझ सूरज की किरणें इमारतों से खेलती हैं, वहीं पर शुरू होती है आरव और तारा की कहानी। दो अलग ज़िंदगियों से आए ये किरदार, एक किताब की दुकान पर पहली बार टकराते हैं।


भाग 1: मुलाक़ात की मिठास

Couple Image

आरव एक संवेदनशील लेखक है, जिसने हाल ही में अपनी पहली किताब “धूप की गलियों में” प्रकाशित की है। जबकि तारा, एक कला की छात्रा है जो रंगों में भावनाएँ ढूंढती है।

एक दिन तारा किताबों की दुकान पर आरव की किताब हाथ में लेकर मुस्कुरा रही थी। आरव वहीँ था, कुछ किताबें सजाते हुए। दोनों की नज़रें मिलीं — और बस, कहानी की पहली स्याही छप गई।


भाग 2: दोस्ती की गर्माहट

वे एक-दूसरे से बातें करने लगे — कविता, रंग, जीवन के अर्थ, और ख्वाबों की गहराइयों पर। आरव की सरलता और तारा की ऊर्जा एक दूसरे के विरोधाभास थे, लेकिन शायद यही बात उन्हें एक-दूसरे की तरफ खींच रही थी।

वे पुराने सिनेमा देखते, चाय पर चर्चा करते और गंगा किनारे बैठ कर खामोशी में भी संवाद करते। आरव धीरे-धीरे तारा के लिए कविता लिखने लगा… और तारा उसकी किताबों को चित्रों से सजाने लगी।


भाग 3: बदलते मौसम और रिश्ते की परीक्षा

एक दिन तारा को दिल्ली के प्रसिद्ध कला संस्थान में प्रवेश मिल गया। यह उसका सपना था। मगर इसका मतलब था — दूरी।

दोनों के दिलों में उथल-पुथल थी। क्या वे इस दूरी को सह पाएँगे? क्या उनका प्रेम समय की कसौटी पर खरा उतरेगा?


भाग 4: बिछड़ना – ना चाहा पर ज़रूरी

तारा दिल्ली चली गई। आरव ने उसे मुक्त किया — ताकि वह अपने सपनों के रंग उड़ा सके। उन्होंने वादा किया कि वे लेखन और चित्रों के ज़रिए जुड़े रहेंगे।

उनका संवाद अब पत्रों, कविता और वीडियो कॉल में बदल गया। और उनकी भावनाएँ पहले से भी गहरी हो गईं। लेकिन दिलों का इंतज़ार आसान नहीं था।


भाग 5: मिलन – साँझ की रोशनी में प्रेम का पुनर्जन्म

एक वर्ष बाद, तारा एक कला प्रदर्शनी के लिए सूरत लौटी। प्रदर्शनी में उसकी एक पेंटिंग थी — जिसमें एक लड़का किताब लिए हुए था और उसके पास बैठी लड़की सूरज के रंगों से खेल रही थी। यह आरव और तारा ही थे।

आरव वहाँ मौजूद था। उसकी आँखें नम थीं। और तारा ने उसके हाथों में फिर से वो किताब थमा दी — मगर इस बार उसके पन्नों में तारा के रंग थे।


💫 समापन: प्रेम, रंग और शब्दों की अटूट गठबंधन

आरव और तारा ने अपनी कला को मिलाया — एक साथ किताबें और चित्र बनाए। उनका प्रेम अब एक रचनात्मक संगम था जो दूसरों के दिलों को भी छूने लगा।

 

Romantic Love Story || बारिश को सब याद है

 

     बारिश को सब याद है

Romantic Love Story

learnkro.com-पहली बूँद ने बालकनी के जंग लगे रेलिंग पे ऐसे टपक मारा… जैसे कोई राज़ बहुत दिनों बाद ज़ुबान पे आया हो।

फिर शुरू हो गई बारिश—धीरे नहीं, जैसे कोई राग जो बहुत वक़्त से दबा बैठा था, अब खुल के बहने लगा हो। पूरा उदयपुर भीग गया, बारिश के चांदी जैसे पर्दों में लिपटा हुआ। मिट्टी की खुशबू हवा में घुल गई, जैसे धरती सुकून की साँस ले रही हो।

गंगौर घाट के किनारे एक पुरानी हवेली की बालकनी में खड़ा था आरव मेहता। उम्र लगभग इकत्तीस। पेशे से आर्किटेक्ट, और दिल से थोड़ा खोया हुआ। उसे खुद नहीं पता था कि उसे यहां क्या खींच लाया… दादा की छोड़ी ये हवेली, टूटे हुए गुज़रे वक़्त की तरह उसके सामने थी। मगर बारिश की पहली बूंदों के साथ, जैसे हवेली बोलने लगी हो। कोई पुरानी आवाज़… जो अब तक चुप थी।

नीचे झील पिचोला की सतह हिल रही थी, जैसे नींद से जागी हो। नावें चुपचाप किनारे से टिकी हुई थीं, और दूर पीपल के झुरमुटों से मोरों की आवाजें आती थीं। अठारह साल बाद आरव उदयपुर लौटा था—मगर लगता था कि यहाँ की हर ईंट उसे बेहतर जानती है।

हवेली ने सांस ली। उसके पत्थर जैसे पुरखों ने बारिश में कराह नहीं मारी, बल्कि जैसे चैन की साँस ली हो। जैसे उन्होंने भी उसके लौटने का इंतज़ार किया हो।

आरव एक खिड़की के पास गया, लकड़ी का ढांचा उखड़ा हुआ, रंग की परतें झड़ रही थीं। दीवारों से काई लिपटी थी, छत से टप-टप बूँदें गिर रही थीं किसी पुरानी मटकी में।

ये जगह… ये वो इंडिया नहीं था जिसे वो मुंबई में बनाता आया था। ये कुछ और था—पुराना, ठहरा हुआ, और बेहद सच्चा। यहां खामोशी भी बोलती थी।

अचानक दूर एक दरवाज़ा हवा में पट से बंद हो गया।

वो चौंका।

डर नहीं था। सिर्फ… ध्यान भटका।

वो चला उस दिशा में, गलियों में उसके बूट्स की आवाज़ गूंज रही थी। हवेली का आँगन खुला हुआ था, चारों तरफ खुले बरामदे, बीच में एक टूटा हुआ फव्वारा। पत्थर के हाथियों से पानी बह निकला जैसे ज़मीन को फिर से चूमने चला हो।

वो वहीं रुक गया।

यही था उसका जवाब। बारिश ना केवल आई थी… बारिश उसे बदल रही थी।

उसने आँखें बंद की, सुना—सिर्फ बारिश नहीं, सब कुछ जो बारिश ने जगा दिया था। दादी की कहानियाँ, पिता और दादा की बहसें, और वो गाड़ी… जो उसे छोड़ कर चली गई थी।

बहुत दूर, मंदिर की घंटी बजी। बारिश में देवता भी झूमते हैं, ऐसा माना जाता है।

आरव स्टडी रूम की तरफ बढ़ा, जहाँ उसके दादा काम किया करते थे। दरवाज़ा खोला। धूल उठी जैसे सदियों से सोई आत्मा जागी हो। किताबें, पुरानी तस्वीरें, और एक ग्लोब… जिस पर उदयपुर गोल घेरे में लिखा था।

मेज पर एक डायरी रखी थी।

वो करीब गया।

सिर्फ एक पेज खुला था।

“बारिश तुझे उसके पास ले जाएगी। बस भरोसा रखना।”

लिखाई जानी-पहचानी सी थी। नीचे एक स्केच—एक कैमरा, एक झील, और एक औरत… जिसके बाल बारिश में उड़ रहे थे।

उसने पन्ना बंद कर दिया।

बिजली चमकी। आसमान चीखा।

और कहीं… झील के पास, उसी झोंके में मीरा ने कैमरे का बटन दबाया। उसकी आँखों में सवाल थे, होठों पे चुप्पी। दुपट्टा हवा में लहराया और बारिश ने उसके गालों को छुआ—जैसे कहा हो, “वापसी मुबारक।”

उसे नहीं पता था कि वो क्यों लौटी।

बस इतना कि कोई या कुछ… उसका इंतज़ार कर रहा था।